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founded by S. N. Goenka in the tradition of Sayagyi U Ba Khin

 

 

 

 

 

LET US WALK THE PATH OF DHAMMA - चलें धर्म के पंथ (Hindi)

₹700.00

चलें धर्म के पंथ यह पुस्तक पूज्य गोयन्काजी के ‘आत्म-कथनात्मक लेखों का संकलन’ है जो विपश्यना साधना के सिद्धांतों और विधि के साथ गहराई से जुड़े जीवन का एक सम्मोहक विवरण प्रस्तुत करती है। यह उनकी व्यक्तिगत यात्रा, प्रारंभिक जीवन के अनुभवों, महत्त्वपूर्ण मुठभेड़ों और विपश्यना के अभ्यास एवं प्रशिक्षण के माध्यम से प्राप्त गहन अंतर्दृष्टि को उजागर करती है।
पुस्तक को विषयगत (थियेटिक) पांच खंडों में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक खंड श्री सत्यनारायण गोयन्काजी के जीवन और धम्म-यात्रा के अलग-अलग महत्त्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाते हैं यथाः

1. धर्म भूमि में जीवन: यह खंड श्री गोयन्काजी के प्रारंभिक जीवन से लेकर उनके दादाजी की यादों और प्रभावों पर प्रकाश डालता है। इसमें उनकी परवरिश, युवावस्था के दौरान के अनुभव और उनमें पैदा हुए नैतिक मूल्यों को दर्शाया गया है।

2. मेरे भाग्य का उदय: यह खंड गोयन्काजी के आचार्य- सयाजी ऊ बा खिन के साथ जीवन बदलने वाली मुलाकात और उसके गहरे प्रभावों पर केंद्रित है। इस खंड में विपश्यना के आचार्य के रूप में गोयन्काजी के भाग्य-प्रकटीकरण पर भी चर्चा की गई है।

3. विपश्यना का डंका बज गया है: यह खंड विपश्यना साधना को पुनर्जीवित करने की चुनौतियों और उन पर विजय पाने से संबंधित है। यानी, विपश्यना की प्राचीन परंपरा को मुख्यधारा में वापस लाने की जागरूकता और उसकी स्वीकृति पर प्रकाश डालता है।

4. विपश्यना के बांध खुले: इसमें गोयन्काजी द्वारा विपश्यना के सार्वजनीन स्वरूप और उसकी पहुँच को दर्शाते हुए, इस बात पर जोर दिया गया है कि यह साधना धर्म और जाति की सीमाओं के परे है।

5. धर्म की यात्रा: अंतिम खंड- समाज और व्यक्तिगत जीवन में धर्म की परिवर्तनकारी शक्ति की पड़ताल करते हुए यह दर्शाता है कि गोयन्का जी द्वारा सिखाई गई बुद्ध की शिक्षाओं ने दुनिया भर के लोगों को कैसे प्रभावित किया है।

संक्षेप में, यह पुस्तक न केवल एक व्यक्तिगत संस्मरण है, बल्कि गोयन्काजी के अनूठे दृष्टिकोण और अनुभवों के माध्यम से प्रस्तुत भगवान बुद्ध की सार्वकालिक (कालातीत) शिक्षा का एक प्रमाण भी है। यह पुस्तक विपश्यना साधना, व्यक्ति और समाज पर इसके प्रभाव को इंगित करती है।
मानव इतिहास के चित्रपट पर कभी-कभी ही ऐसे व्यक्ति उभरते हैं जिनका जीवन समाज के ताने-बाने से परे होता है, और अपने पीछे एक असाधारण विरासत छोड़ जाते हैं जो समय और स्थान पर प्रतिध्वनित होती रहती है। श्री सत्यनारायण गोयन्का, निस्संदेह इन दिग्गजों में से एक थे, जिनकी स्वयं की खोज और करुणामय सेवा-यात्रा, लोगों के जीवन को प्रेरित और परिवर्तित करती रहेगी।

SKU:
H115
ISBN No: 
978-81-7414-470-6
Publ. Year: 
2024
Author: 
Vipassana Research Institute
Language: 
Hindi
Book Type: 
Hard Cover
Pages: 
532
Preview: 
PDF icon Preview (3.01 MB)